नई दिल्ली:
अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले (Ayodhya Case) में सोमवार को 29 वें दिन की सुनवाई हुई. कोर्ट (जस्टिस बोबड़े) ने पूछा कि अब तक कितने तरह के ज्यूरिस्टिक पर्सन को मान्यता मिली है. क्या उनकी सूची आप पेश कर सकते हैं? इस पर मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा कि इसके लिए तो मुझे 18-20 पीएचडी करनी पड़ेंगी. उन्होंने कहा कि वैसे धर्मशास्त्र ने दो तरह के लोगों को ज्यूरिस्टिक पर्सन माना है. एक तो वे जिनको मानते हैं, और दूसरे जो खुद को ज्यूरिस्टिक पर्सन बना लेते हैं. कोर्ट तीसरे तरह की चीज़ को ज्यूरिस्टिक पर्सन बनाने पर सवाल कर रहा है, जो न तो खुद से है, न ही लोगों ने बनाया. अब आप इलाहाबाद के किले से चारों ओर के इलाके को ज्यूरिस्टिक पर्सन मान लें, जहां हनुमान और संगम है, तो ये कोई नए तरह के देवता हो जाएंगे.
धवन ने कहा कि पब्लिक लॉ ग्राउंड और प्राइवेट लॉ ग्राउंड की कसौटी पर इसे अलग-अलग कस सकते हैं. टाइटल की बात करें तो उनका राम चबूतरा पर ही हक है, बस. राजीव धवन ने कहा कि 1528 में पौने पांच सौ साल पहले मस्जिद बनाई थी और 22 दिसंबर 1949 तक लगातार नमाज हुई. तब तक वहां अंदर कोई मूर्ति नहीं थी. एक बार मस्जिद हो गई, तो हमेशा मस्जिद ही रहेगी.
धवन ने हाइकोर्ट के जस्टिस खान और अग्रवाल के तीन फैसलों के अंश के हवाले से मुस्लिम पक्ष के कब्जे की बात कही. उन्होंने कहा कि बाहरी अहाते पर ही उनका अधिकार था. लगातार और खास तौर पर कब्जे का कोई प्रूफ नहीं है. जबकि जस्टिस शर्मा ने हिन्दू पक्षकारों के अधिकार और पूजा की बात स्वीकारी है. हालांकि दोनों पक्षकारों के पास 1885 से पुराने राजस्व रिकॉर्ड भी नहीं हैं.
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राजीव धवन ने कहा कि धर्मशास्त्र में अपने से कुछ नहीं जोड़ा जा सकता. इस बारे में बहुत कुछ चर्चाएं चलती रहती हैं. जैसे कि पीएम मोदी कहते हैं कि हम देश बदल रहे हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं समझा जाना चाहिए कि संविधान बदला जा रहा है. उन्होंने कहा कि औरंगजेब ने कई मंदिरों को अनुदान भी दिए. नाथद्वारा मंदिर के बारे में भी यही मान्यता है. इसके मौखिक और लिखित प्रमाण भी हैं. बड़ी तादाद में लोग अगर किसी मंदिर में दर्शन-पूजन करते हैं तो यह कोई आधार नहीं है उसके ज्यूरिस्टिक पर्सन होने का.
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धवन ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले की खामी यह है कि एक ही जगह के दो ज्यूरिस्टिक पर्सन नहीं हो सकते. वैसे ही जैसे गुरुद्वारा और गुरुग्रंथ साहब दो ज्यूरिस्टिक पर्सन नहीं हो सकते. सिर्फ गुरुग्रंथ साहब जब गुरुद्वारा में होते हैं तभी वो गुरुद्वारा बनता है. उन्होंने ठाकुर गोकुलनाथ जी का हवाला देते हुए कहा कि वल्लभाचार्य ने सात मूर्तियां अपने सातों पोतों को दीं. गोकुल में उस पर ही विवाद हुआ. तब भी कोर्ट ने मूर्ति को ज्यूरिस्टिक पर्सन नहीं माना था.
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जस्टिस बोबड़े ने राजीव दवन को टोका कि बिना मूर्ति के भी तो कोई देवता हो सकता है. जैसे आकाश तत्व- चिदंबरम नटराज. धवन ने कहा कि लेकिन ऐसी जगह पर कुछ न कुछ निर्माण, ढांचा या आकार जरूर होना चाहिए जिससे यह विश्वास हो कि यह जगह ज्यूरिस्टिक पर्सन है. चिदंबरम इसका अपवाद हो सकता है. जस्टिस बोबड़े ने कहा कि चिदंबरम तो विशिष्ट केस था. धवन ने कहा कि गूगल के मुताबिक यह मंदिर चोल काल में 10 वीं शताब्दी में बनाया गया था. पीएस नरसिम्हा ने बताया कि चिदंबरम में शिव के पांच मंदिर बनाए गए. पांच तत्वों के प्रतीक, पृथ्वी, जल, आकाश, अग्नि और वायु. चिदंबरम आकाश के प्रतीक हैं.
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अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को सुबह 10.30 से शाम पांच बजे तक सुनवाई करेगा. शुक्रवार को एक बजे तक सुनवाई होगी. पहले ही कोर्ट ने साफ कर दिया था कि मामले की सुनवाई पूरी करने के लिए एक घंटे ज्यादा बैठना पड़े तो कोर्ट बैठेगा.
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नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि राम-जन्मभूमि बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले से संबद्ध पक्ष यदि इसे मध्यस्थता के जरिए सुलझाना चाहते हैं, तो वे अब भी ऐसा कर सकते हैं. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि उसे सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एफ एम आई कलीफुल्ला का पत्र मिला है जिसमें कहा गया है कि कुछ पक्षों ने उन्हें मध्यस्थता प्रक्रिया दोबारा शुरू करने के लिए पत्र लिखा है. कलीफुल्ला ने मामले में तीन सदस्यीय मध्यस्थता पैनल की अगुवाई की थी.
पीठ ने कहा कि भूमि विवाद मामले में रोजाना के आधार पर कार्यवाही बहुत आगे पहुंच गई है और यह जारी रहेगी. हालांकि, कोर्ट ने कहा कि न्यायमूर्ति कलीफुल्ला की अगुवाई में मध्यस्थता प्रक्रिया अब भी जारी रह सकती है और उसकी कार्यवाही गोपनीय रखी जाएगी. साथ ही कोर्ट ने कहा कि सुनवाई काफी आगे तक बढ़ चुकी है इसलिए सुनवाई भी चलेगी.
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वहीं दूसरी ओर सीजेआई रंजन गोगोई का बड़ा बयान आया है. उन्होंने कहा है कि सभी को संयुक्त प्रयास करना होगा और पक्षकार समझौता कर अदालत को बताए. इस केस की सुनवाई 18 अक्टूबर तक पूरी होने की उम्मीद भी जताई. 27 सितंबर तक मुस्लिम पक्षकार अपनी बहस पूरी कर लेंगे. मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से राजीव धवन ने कहा, ''अगले हफ़्ते तक हम अपनी बहस पूरी कर लेंगे.'' इस पर CJI ने कहा, ''आप अपनी बहस इस महीने तक पूरी कर लेंगे.'' इस पर रामलला विराजमान ने कहा कि उन्हें जवाब देने के लिए 2 दिनों का वक्त चहिये.
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शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि जिस तरह केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाया उसी तरह उसे चाहिए कि वह अयोध्या में राम मंदिर बनाने का भी साहस दिखाए. उन्होंने कहा कि अब राम मंदिर के लिए इंतजार करने का कोई मतलब नहीं बनता है. ठाकरे ने कहा कि हमनें शिवसेना कार्यकर्ताओं से कहा है कि वह तैयार रहे हैं. अब समय आ गया है जब राम मंदिर की आधारशिला अयोध्या में रखी जाएगी. यह वह मुद्दा है जिसे हमारे संस्थापक बालासाहेब ठाकरे ने देखा था.
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उद्धव ठाकरे ने आगे कहा कि जिस तरह से सरकार काम कर रही है, उसने हमारी उम्मीदें बढ़ा दी हैं कि सरकार जल्द ही अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कराएगी. अब इंतजार करने का कोई मतबल नहीं बनता है. बता दें कि लोकसभा चुनाव के दौरान उद्धव ठाकरे ने राम मंदिर निर्माण को लेकर बीजेपी पर कई बार हमला बोला था. उन्होंने कहा था कि जिस तरह से मोदी सरकार ने बीते पांच सालों में काम किया है, उससे ऐसा कहीं से भी नहीं लगता है कि वह राम मंदिर बनवाने को लेकर किसी तरह से गंभीर है.
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गौरतलब है कि महाराष्ट्र में आसन्न विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए सीटों के बंटवारे पर सत्तारूढ़ भाजपा और शिवसेना के अपना रुख सख्त करने की खबरों के बीच शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में, दोनों दलों का गठबंधन ‘‘अटल'' है और यह गठबंधन एक बार फिर से सत्ता में वापसी करेगा. मुंबई में एक कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान ठाकरे ने अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने के लिए प्रधानमंत्री की सराहना की और अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनाने और समान नागरिक संहिता लाने की अपील की थी.
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ठाकरे ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को नेतृत्व और दिशा प्रदान की है जिसमें प्रगति और विकास करने की अपार क्षमता है. संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने और चंद्रयान -2 अभियान के लिए मैं मोदी को बधाई देता हूं ...अब राष्ट्र अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण तथा समान नागरिक संहिता का इंतजार कर रहा है.''
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